भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"मेष-वृष तरनि तचाइन के त्रासन तें / ग्वाल" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ग्वाल }}{{KKAnthologyGarmi}} Category:पद <poem> मेष-वृष तरनि तचाइन के …) |
(कोई अंतर नहीं)
|
06:52, 28 मार्च 2011 के समय का अवतरण
मेष-वृष तरनि तचाइन के त्रासन तें,
सीतलाई सब तहखानन में ढली है ।
तजि तहखाने गई सर, सर तजि कंज,
कंज तजि चंदन-कपूर पूर पली है ॥
ग्वाल कवि ह्याँ तें चंद में ह्वै चाँदनी में गई,
चाँदनी तें सोरा मिले जल माँहि रली है ।
सोरा जल हूं ते धसी ओरा, फिर ओरा तजि,
बोराबोर ह्वै करि हिमाचल में गली है ॥