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"जम जाएंगे ठंड से दो सूर्य / मरीना स्विताएवा" के अवतरणों में अंतर

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जम जाएंगे ठंड से दो सूर्य,
 
जम जाएंगे ठंड से दो सूर्य,

01:14, 1 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण

जम जाएंगे ठंड से दो सूर्य,
रहम कर, ओ ईश्वर !
एक सूर्य जम जाएगा आकाश में
और दूसरा मेरी छाती में ।

क्षमा कर पाऊंगी क्या मैं स्वयं अपने को-
किस तरह इन सूर्यों ने
कर डाला है मेरा दिमाग ख़राब ।

जम जाएंगे ठंड से ये दोनों सूर्य,
तनिक भी नहीं होगी पीड़ा उनकी ठंडी किरणों से ।
जो चमक रहा है आज अधिक ताप से
ठंड से वही जम जाएगा सबसे पहले ।

रचनाकाल : 5 अक्तूबर 1915

मूल रूसी भाषा से अनुवाद : वरयाम सिंह