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"सर्द एहसास में / वाज़दा ख़ान" के अवतरणों में अंतर
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मगर कविताएँ | मगर कविताएँ | ||
मुझे जीवन दान देती हैं | मुझे जीवन दान देती हैं | ||
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स्वप्न / संवेदना / इच्छा से । | स्वप्न / संवेदना / इच्छा से । | ||
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20:02, 3 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण
खारे समुद्र में स्वाद मिश्रित बूँदें
घुल रही हैं नमक में जैसे
घुलता है रक्त
अस्थि-मज्जा में ।
सूर्यग्रहण / चन्द्रग्रहण
कौन-सा ग्रहण है जीवन में
कि मुस्कुराहट घुल रही है सर्द एहसास में
कौन जाने ?
मगर कविताएँ
मुझे जीवन दान देती हैं
जो बनी हैं रक्त / अस्थि / मज्जा / सूर्यग्रहण / चन्द्रग्रहण /
स्वप्न / संवेदना / इच्छा से ।