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"किसीकी शबनमी आँखों में झिलमिलाये हुए / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर
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हम उस गली में न जायेंगे बेबुलाये हुए | हम उस गली में न जायेंगे बेबुलाये हुए | ||
00:13, 17 जून 2011 का अवतरण
किसीकी शबनमी आँखों में झिलमिलाये हुए
एक अरसा हो गया फूलों की चोट खाए हुए
किया है प्यार बिना देखे भले ही उनसे
हम उस गली में न जायेंगे बेबुलाये हुए
करोगे याद भी हमको हमारे बाद कभी
अभी जो छोड़ के जाते हो मुँह फिराए हुए
मुकाम ऐसे भी आये हैं ज़िन्दगी में कई
हम अपना समझे थे जिनको वही पराये हुए
भले ही तेज हो आँधी, बचाके रख लो इन्हें
न जल सकेंगे कभी फिर दिए बुझाये हुए
सिवा गुलाब के रंगत है किसकी लाल यहाँ!
बहुत हैं देखे जलाए हुए, सताए हुए