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"सबै फूल फूले, फबे चारु सोहैं / शृंगार-लतिका / द्विज" के अवतरणों में अंतर

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भुजंगप्रयात  
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'''भुजंगप्रयात'''
(परिपूर्ण ऋतुराज का प्रकाश रूप से वर्णन)
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''(परिपूर्ण ऋतुराज का प्रकाश रूप से वर्णन)''
  
 
सबै फूल फूले, फबे चारु सोहैं । भँवैं भौंर भूले, भले चित्त-मोहैं ॥
 
सबै फूल फूले, फबे चारु सोहैं । भँवैं भौंर भूले, भले चित्त-मोहैं ॥
 
बहै मंद-ही, मंद-ही, बायु रूरे । सुबासैं, सबै भाँति-सौं सोभ-पूरे ॥१७॥
 
बहै मंद-ही, मंद-ही, बायु रूरे । सुबासैं, सबै भाँति-सौं सोभ-पूरे ॥१७॥
 
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07:55, 29 जून 2011 के समय का अवतरण

भुजंगप्रयात
(परिपूर्ण ऋतुराज का प्रकाश रूप से वर्णन)

सबै फूल फूले, फबे चारु सोहैं । भँवैं भौंर भूले, भले चित्त-मोहैं ॥
बहै मंद-ही, मंद-ही, बायु रूरे । सुबासैं, सबै भाँति-सौं सोभ-पूरे ॥१७॥