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"रमैं पच्छिनी सौं सबै पच्छ जोरैं / शृंगार-लतिका / द्विज" के अवतरणों में अंतर
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भुजंगप्रयात
(परिपूर्ण ऋतुराज का प्रकाश रूप से वर्णन)
रमैं पच्छिनी सौं सबै पच्छ जोरैं । बिहंगावली आपनौं भाव भोरैं ॥
जयंती-जपा जाति के बृच्छ नाना । धरैं हैं चहूँ कोद सौं मोद-बाना ॥१८॥