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"और गाँव हरि चलत, कबहुँ राधा दुख पावैं / शृंगार-लतिका / द्विज" के अवतरणों में अंतर
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रोला
(गच्छत्पतिका,आगमिष्यत्पतिका और प्रोषित्पतिका आदि नायिकाओं का संक्षिप्त वर्णन )
और गाँव हरि चलत, कबहुँ राधा दुख पावैं ।
आवत जानि बहोरि, हिऐं आनँद उपजावैं ॥
बसि बिदेस हरि कबहुँ, कबहुँ बिरहा-दुख पावैं ।
ह्वै बिरिहनि तिय बिलखि, दूति हरि-पास पठावैं ॥४२॥