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"बैठी चित-हित चाँहि / शृंगार-लतिका / द्विज" के अवतरणों में अंतर

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सोरठा
(सरस्वती आशीर्वाद-वर्णन)

बैठी चित-हित चाँहि, मम बिनती सुनि भारती ।
हिय सिंगार-लतिकाहि, भाँति-अनेक असीस दै ॥५५॥