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"कहने को तो वे हमपे मेहरबान बहुत हैं / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर
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ख़ामोश पड़े दिल को तड़पना सीखा दिया | ख़ामोश पड़े दिल को तड़पना सीखा दिया | ||
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वे भाँप ही लेते हैं निगाहों का हर सवाल | वे भाँप ही लेते हैं निगाहों का हर सवाल |
01:57, 10 जुलाई 2011 का अवतरण
कहने को तो वे हमपे मेहरबान बहुत हैं
फिर भी हमारे हाल से अनजान बहुत हैं
क्या किससे पूछिए कि जहां मुँह सिये हों लोग
हैं नाम के ही शहर ये, वीरान बहुत हैं
ख़ामोश पड़े दिल को तड़पना सीखा दिया
हम पर किसीके प्यार के एहसान बहुत हैं
वे भाँप ही लेते हैं निगाहों का हर सवाल
वैसे तो और बातों में नादान बहुत हैं
काँटों का ताज कौन पहनता है यह, गुलाब!
माना कि खेल प्यार के आसान बहुत हैं