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"आस होगी न आसरा होगा / बशीर बद्र" के अवतरणों में अंतर

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मैं तुझे भूल जाऊँगा इक दिन
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आस होगी न आसरा होगा <br>
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नाम हम ने लिखा था आँखों में
आने वाले दिनों में क्या होगा <br><br>
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आँसुओं ने मिटा दिया होगा
  
मैं तुझे भूल जाऊँगा इक दिन<br>
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आसमाँ भर गया परिंदों से
वक़्त सब कुछ बदल चुका होगा <br><br>
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दुश्वार = कठिन ; सर-ए-शाम = शाम होते ही<br><br>
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21:31, 22 जुलाई 2011 के समय का अवतरण

आस होगी न आसरा होगा
आने वाले दिनों में क्या होगा

मैं तुझे भूल जाऊँगा इक दिन
वक़्त सब कुछ बदल चुका होगा

नाम हम ने लिखा था आँखों में
आँसुओं ने मिटा दिया होगा

आसमाँ भर गया परिंदों से
पेड़ कोई हरा गिरा होगा

कितना दुश्वार<ref>कठिन</ref> था सफ़र उस का
वो सर-ए-शाम<ref>शाम होते ही</ref> सो गया होगा

शब्दार्थ
<references/>