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"चुप तो किसी भी बात पर रहते नहीं हैं हम / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर
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पल भर कहीं भी चैन से रहते नहीं हैं हम | पल भर कहीं भी चैन से रहते नहीं हैं हम | ||
− | किश्ती | + | किश्ती भँवर में छोड़ दें, डाँड़ों को तोड़ दें |
तेवर, ऐ ज़िन्दगी तेरे सहते नहीं हैं हम | तेवर, ऐ ज़िन्दगी तेरे सहते नहीं हैं हम | ||
− | लोगों ने बात बात में हमको दिया उछाल | + | लोगों ने बात-बात में हमको दिया उछाल |
शायर तो अपने आप को कहते नहीं हैं हम | शायर तो अपने आप को कहते नहीं हैं हम | ||
− | एक | + | एक शोख़ की नज़र ने खिलाये हैं ये गुलाब |
यों ही हवा की तान पे बहते नहीं हैं हम | यों ही हवा की तान पे बहते नहीं हैं हम | ||
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01:36, 12 अगस्त 2011 के समय का अवतरण
चुप तो किसी भी बात पर रहते नहीं हैं हम
ऐसा ही कुछ है पर जिसे कहते नहीं हैं हम
छूटे हैं जब से आपकी पलकों की छाँह से
पल भर कहीं भी चैन से रहते नहीं हैं हम
किश्ती भँवर में छोड़ दें, डाँड़ों को तोड़ दें
तेवर, ऐ ज़िन्दगी तेरे सहते नहीं हैं हम
लोगों ने बात-बात में हमको दिया उछाल
शायर तो अपने आप को कहते नहीं हैं हम
एक शोख़ की नज़र ने खिलाये हैं ये गुलाब
यों ही हवा की तान पे बहते नहीं हैं हम