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"उसकी शोखी ने सितम ढाए बहुत / मनु भारद्वाज" के अवतरणों में अंतर

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10:25, 3 सितम्बर 2011 के समय का अवतरण

उसकी शोखी ने सितम ढाए बहुत
हम तो बस कहते रहे 'हाये' बहुत

वो हमें भूले तो भूले ही रहे
याद हम आये तो याद आये बहुत

आँखों-आँखों में न जाने क्या हुआ
देखकर वो हमको शर्माये बहुत

ख़ुद उलझकर रह गए जान-ए-ग़ज़ल
तेरे गेसू हमने सुलझाये बहुत

जानता था मैं न होगा दर्द कम
ज़ख्म अपने फिर भी सहलाये बहुत

वो न आये अंजुमन में ऐ 'मनु'
हमने पैगामात पहुंचाए बहुत