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"सपना / विमलेश त्रिपाठी" के अवतरणों में अंतर

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और मेरे सपने में बैलों के गले की घंटियाँ
 
और मेरे सपने में बैलों के गले की घंटियाँ
 
घुंघरू की तान की तरह बज रही हैं
 
घुंघरू की तान की तरह बज रही हैं
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समूची धरती सर से पाँव तक
 
समूची धरती सर से पाँव तक
 
हरियाली पहने मेरे तकिये के पास खड़ी है
 
हरियाली पहने मेरे तकिये के पास खड़ी है

11:28, 11 नवम्बर 2011 के समय का अवतरण

गाँव से चिट्ठी आई है
और सपने में गिरवी पड़े खेतों की
फिरौती लौटा रहा हूँ

पथराए कन्धे पर हल लादे पिता
खेतों की तरफ़ जा रहे हैं
और मेरे सपने में बैलों के गले की घंटियाँ
घुंघरू की तान की तरह बज रही हैं

समूची धरती सर से पाँव तक
हरियाली पहने मेरे तकिये के पास खड़ी है

गाँव से चिट्ठी आई है
और मैं हरनाथपुर जाने वाली
पहली गाड़ी के इन्तजार में
स्टेशन पर अकेला खड़ा हूँ ।