भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"निपट कपट की खान दुकानें खुली खुल गई / शिवदीन राम जोशी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शिवदीन राम जोशी }} <poem> निपट कपट की खा...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
छो |
||
पंक्ति 6: | पंक्ति 6: | ||
निपट कपट की खान दुकानें खुली खुल गई, | निपट कपट की खान दुकानें खुली खुल गई, | ||
छल बल छाया घोर जोर से गांठ घुल गई। | छल बल छाया घोर जोर से गांठ घुल गई। | ||
− | + | पाप ताप संताप बढावे ढ़ोंगी साधू, | |
− | + | बाजीगर बन गये दिखावें भैया जादू। | |
शिवदीन बचो इनसे सभी ये हैं पूत कपूत, | शिवदीन बचो इनसे सभी ये हैं पूत कपूत, | ||
समय पाय खिच जायेगें इनके सगरे सूत। | समय पाय खिच जायेगें इनके सगरे सूत। | ||
राम गुण गायरे। | राम गुण गायरे। | ||
</poem> | </poem> |
20:47, 22 जनवरी 2012 के समय का अवतरण
निपट कपट की खान दुकानें खुली खुल गई,
छल बल छाया घोर जोर से गांठ घुल गई।
पाप ताप संताप बढावे ढ़ोंगी साधू,
बाजीगर बन गये दिखावें भैया जादू।
शिवदीन बचो इनसे सभी ये हैं पूत कपूत,
समय पाय खिच जायेगें इनके सगरे सूत।
राम गुण गायरे।