भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"मैं चाहें जितना उडूं वो उतार ही देगा / मनु भारद्वाज" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKRachna |रचनाकार=मनु भारद्वाज |संग्रह= }} {{KKCatGhazal‎}} <Poem> मैं चा...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

04:05, 12 मार्च 2012 के समय का अवतरण

मैं चाहें जितना उडूं वो उतार ही देगा
चलाके तीर मेरे दिल पे मार ही देगा

मेरे नसीब में ताउम्र शोहरतें ही नहीं
खुदा जो देगा बुलंदी उधार ही देगा

मैं खुद भी जीतने के ख्वाब मार बैठा हूँ
मैं जानता हूँ मुझे तू तो हार ही देगा

मुझे खुद अपने ही चेहरे पे ऐतबार नहीं
छुपाऊं लाख ग़मों को उभार ही देगा

मैं रिस्क लेके गले मिल लिया मुकद्दर से
बिगाड़ देगा मुझे या संवार ही देगा

'मनु' यकीन पे उसके न जा गुलसिताँ में
वो गुलपरस्त तुझे सिर्फ ख़ार ही देगा