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"इस तरह हर ग़म भुलाया कीजिये / हसरत जयपुरी" के अवतरणों में अंतर

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अपने हाथों से पिलाया कीजिये

12:05, 20 अप्रैल 2012 का अवतरण

इस तरह हर ग़म भुलाया कीजि
रोज़ मैख़ाने में आया कीजिये

छोड़ भी दीजिये तकल्लुफ़ शेख़ जी
जब भी आयें पी के जाया कीजिये

ज़िंदगी भर फिर न उतेरेगा नशा
इन शराबों में नहाया कीजिये

ऐ हसीनों ये गुज़ारिश है मेरी
अपने हाथों से पिलाया कीजिये