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चांद का मुँह टेढ़ा है

रचनाकार | गजानन माधव मुक्तिबोध |
---|---|
प्रकाशक | भारतीय ज्ञानपीठ |
वर्ष | 1964 |
भाषा | हिन्दी |
विषय | कविता |
विधा | नई कविता |
पृष्ठ | 296 |
ISBN | 9788126308239 |
विविध | वर्तमान संस्करण, 2004 |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
- प्रथम संस्करण से / चांद का मुँह टेढ़ा है
- भूल ग़लती / गजानन माधव मुक्तिबोध
- पता नहीं... / गजानन माधव मुक्तिबोध
- ब्रह्मराक्षस / गजानन माधव मुक्तिबोध
- दिमाग़ी गुहान्धकार का ओरांगउटांग! / गजानन माधव मुक्तिबोध
- लकड़ी का रावण / गजानन माधव मुक्तिबोध
- चांद का मुँह टेढ़ा है. / गजानन माधव मुक्तिबोध
- डूबता चांद कब डूबेगा / गजानन माधव मुक्तिबोध
- एक भूतपूर्व विद्रोही का आत्म-कथन / गजानन माधव मुक्तिबोध
- मुझे पुकारती हुई पुकार / गजानन माधव मुक्तिबोध
- मुझे क़दम-क़दम पर / गजानन माधव मुक्तिबोध
- मुझे याद आते हैं / गजानन माधव मुक्तिबोध
- मुझे मालूम नहीं / गजानन माधव मुक्तिबोध
- मेरे लोग / गजानन माधव मुक्तिबोध
- मेरे सहचर मित्र / गजानन माधव मुक्तिबोध
- मैं तुम लोगों से दूर हूँ / गजानन माधव मुक्तिबोध
- कल जो हमने चर्चा की थी / गजानन माधव मुक्तिबोध
- एक अन्तर्कथा / गजानन माधव मुक्तिबोध
- एक अरूप शून्य के प्रति / गजानन माधव मुक्तिबोध
- ओ काव्यात्मन फणिधर / गजानन माधव मुक्तिबोध
- नक्षत्र-खण्ड / गजानन माधव मुक्तिबोध
- चकमक की चिनगारियाँ / गजानन माधव मुक्तिबोध
- शून्य / गजानन माधव मुक्तिबोध
- जब प्रश्न-चिह्न बौखला उठे / गजानन माधव मुक्तिबोध (लम्बी कविता)
- एक स्वप्न-कथा / गजानन माधव मुक्तिबोध (लम्बी कविता)
- अन्तःकरण का आयतन / गजानन माधव मुक्तिबोध
- इस चौड़े ऊँचे टीले पर / गजानन माधव मुक्तिबोध
- चम्बल की घाटी में / गजानन माधव मुक्तिबोध
- अंधेरे में / गजानन माधव मुक्तिबोध (लम्बी कविता)