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"‘चलो, सब चले द्वारिका मिलकर’ / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

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19:36, 29 अगस्त 2012 के समय का अवतरण


‘चलो, सब चले द्वारिका मिलकर’
बोला एक गोप वृन्दावन में जा-जाकर घर-घर

किसका मान! आन अब कैसी
अब तो दशा हुई है वैसी
जल में थी गजेन्द्र की जैसी
आये प्राण अधर पर

चलो सभी आगे कर गायें
नन्द-यशोदा दायें-बायें
राधा को भी आज मनायें
निकले घर के बाहर

‘चलो, सब चले द्वारिका मिलकर’
बोला एक गोप वृन्दावन में जा-जाकर घर-घर