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"नाज़ मत कर तुझे अदा की क़सम / वली दक्कनी" के अवतरणों में अंतर
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नाज़ मत कर तुझे अदा की क़सम
बेतकल्लुफ़ हो मिल ख़ुदा की क़सम
ज़ुल्फ़-ओ-रुख़ है तिरा जो लैल-ओ-नहार
मुझकूँ वल्लैल-ओ-वलज़हा की क़सम
सर्व क़द कूँ कुशीदा क़ामत-ए-यार
रास्त बोल्या हूँ तुझ अदा की क़सम
मुस्हफ़-ए-रुख़ तिरा है सूरत-ए-फ़ख़
मुझकूँ वन्नज्म इज़ा हवा की क़सम
ज़ुल्म मत कर सजन 'वली' ऊपर
तुझ कूँ है शाह-ए-कर्बला की क़सम