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"हैदराबाद धमाकों पर / सरदार अंजुम" के अवतरणों में अंतर
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हादसे जिनमे छिपी हो दुश्मनी, | हादसे जिनमे छिपी हो दुश्मनी, | ||
दोस्ती के नाम हों तो क्या करें | दोस्ती के नाम हों तो क्या करें | ||
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+ | फरवरी 2013 में हैदराबाद धमाकों पर |
19:13, 13 अप्रैल 2013 के समय का अवतरण
1).
अपाहिज बनके जीने की अदा अच्छी नहीं लगती
जो सूली तक न ले जाए सजा अच्छी नहीं लगती
2).
ये धमाके आम हों तो क्या करें
मौत का पैगाम हों तो क्या करें
मिल गयी थी जब हमें इनकी खबर,
कोशिशें नाकाम हों तो क्या करें
हादसे जिनमे छिपी हो दुश्मनी,
दोस्ती के नाम हों तो क्या करें
फरवरी 2013 में हैदराबाद धमाकों पर