भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"सुर्ख़ हथेलियाँ / सर्वेश्वरदयाल सक्सेना" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) |
Sharda suman (चर्चा | योगदान) |
||
(एक अन्य सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
− | + | {{KKGlobal}} | |
− | + | {{KKRachna | |
− | + | |रचनाकार=सर्वेश्वरदयाल सक्सेना | |
− | + | }} | |
− | + | {{KKCatKavita}} | |
− | + | <poem> | |
− | पहली बार | + | पहली बार |
− | मैंने देखा | + | मैंने देखा |
− | भौंरे को कमल में | + | भौंरे को कमल में |
− | बदलते हुए, | + | बदलते हुए, |
− | फिर कमल को बदलते | + | फिर कमल को बदलते |
− | नीले जल में, | + | नीले जल में, |
− | फिर नीले जल को | + | फिर नीले जल को |
− | असंख्य श्वेत पक्षियों में, | + | असंख्य श्वेत पक्षियों में, |
− | फिर श्वेत पक्षियों को बदलते | + | फिर श्वेत पक्षियों को बदलते |
− | सुर्ख़ आकाश में, | + | सुर्ख़ आकाश में, |
− | फिर आकाश को बदलते | + | फिर आकाश को बदलते |
− | तुम्हारी हथेलियों में, | + | तुम्हारी हथेलियों में, |
− | और मेरी आँखें बन्द करते | + | और मेरी आँखें बन्द करते |
− | इस तरह आँसुओं को | + | इस तरह आँसुओं को |
− | स्वप्न बनते - | + | स्वप्न बनते - |
− | पहली बार मैंने देखा । | + | पहली बार मैंने देखा । |
11:17, 15 अप्रैल 2013 के समय का अवतरण
पहली बार
मैंने देखा
भौंरे को कमल में
बदलते हुए,
फिर कमल को बदलते
नीले जल में,
फिर नीले जल को
असंख्य श्वेत पक्षियों में,
फिर श्वेत पक्षियों को बदलते
सुर्ख़ आकाश में,
फिर आकाश को बदलते
तुम्हारी हथेलियों में,
और मेरी आँखें बन्द करते
इस तरह आँसुओं को
स्वप्न बनते -
पहली बार मैंने देखा ।