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|रचनाकार=ग़ालिब
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[[Category:ग़ज़ल]]{{KKCatGhazal}}<poem>हाँ दिल-ए-दर्दमंद ज़म-ज़मा साज़क्यूँ न खोले दर-ए-ख़ज़िना-ए-राज़
हाँ दिल-ए-दर्दमंद ज़म-ज़मा साज़<br>ख़ामे का सफ़्हे पर रवाँ होनाक्यूँ न खोले दरशाख़-ए-ख़ज़िना-एगुल का है गुल-राज़<br><br>फ़िशाँ होना
ख़ामे का सफ़्हे पर रवाँ होना<br>शाख़-ए-गुल का मुझ से क्या पूछता है गुल-फ़िशाँ होना<br><br>क्या लिखियेनुक़्ता हाये ख़िरदफ़िशाँ लिखिये
मुझ से क्या पूछता है क्या लिखिये<br>बारे, आमों का कुछ बयाँ हो जायेनुक़्ता हाये ख़िरदफ़िशाँ लिखिये<br><br>ख़ामा नख़्ले रतबफ़िशाँ हो जाये
बारे, आमों आम का कुछ बयाँ हो जाये<br>कौन मर्द-ए-मैदाँ हैख़ामा नख़्ले रतबफ़िशाँ हो जाये<br><br>समर-ओ-शाख़, गुवे-ओ-चौगाँ है
आम का कौन मर्द-ए-मैदाँ है<br>ताक के जी में क्यूँ रहे अर्माँसमर-ओ-शाख़आये, ये गुवे-ओ-चौगाँ है<br><br>और ये मैदाँ!
ताक आम के जी में क्यूँ रहे अर्माँ<br>आगे पेश जावे ख़ाकआये, ये गुवे और ये मैदाँ!<br><br>फोड़ता है जले फफोले ताक
आम के आगे पेश जावे ख़ाक<br>न चला जब किसी तरह मक़दूरफोड़ता है जले फफोले ताक<br><br>बादा-ए-नाब बन गया अंगूर
न चला जब किसी तरह मक़दूर<br>ये भी नाचार जी का खोना हैबादा-ए-नाब बन गया अंगूर<br><br>शर्म से पानी पानी होना है
ये भी नाचार जी का खोना मुझसे पूछो, तुम्हें ख़बर क्या है<br>शर्म से पानी पानी होना आम के आगे नेशकर क्या है<br><br>
मुझसे पूछो, तुम्हें ख़बर क्या है<br>न गुल उस में न शाख़-ओ-बर्ग न बारआम के आगे नेशकर क्या है<br><br>जब ख़िज़ाँ आये तब हो उस की बहार
न गुल उस में न शाख़और दौड़ाइए क़यास कहाँजान--बर्ग न बार<br>जब ख़िज़ाँ आये तब हो उस की बहार<br><br>शीरीँ में ये मिठास कहाँ
और दौड़ाईए क़यास कहाँ<br>जान-ए-शीरीँ में ये मिठास कहाँ<br><br> जान में होती गर ये शीरीनी<br>'कोहकन' बावजूद-ए-ग़मगीनी <br><br>
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