भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"एक लड़का / इब्ने इंशा" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
Sharda suman (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 19: | पंक्ति 19: | ||
नारसाई का जी में धड़का कहां ? | नारसाई का जी में धड़का कहां ? | ||
पर वो छोट-सा अल्हड़-सा लड़का कहां ? | पर वो छोट-सा अल्हड़-सा लड़का कहां ? | ||
− | |||
− | |||
</poem> | </poem> | ||
+ | नारसाई=असमर्थता |
10:48, 9 जुलाई 2013 का अवतरण
एक छोटा-सा लड़का था मैं जिन दिनों
एक मेले में पंहुचा हुमकता हुआ
जी मचलता था एक-एक शै पर मगर
जेब खाली थी कुछ मोल ले न सका
लौट आया लिए हसरतें सैकड़ों
एक छोटा-सा लड़का था मै जिन दिनों
खै़र महरूमियों के वो दिन तो गए
आज मेला लगा है इसी शान से
आज चाहूं तो इक-इक दुकां मोल लूं
आज चाहूं तो सारा जहां मोल लूं
नारसाई का जी में धड़का कहां ?
पर वो छोट-सा अल्हड़-सा लड़का कहां ?
नारसाई=असमर्थता