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"क्या पूजन क्या अर्चन रे! / महादेवी वर्मा" के अवतरणों में अंतर

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क्या पूजन क्या अर्चन रे!
 
क्या पूजन क्या अर्चन रे!
  
उस असीम का सुंदर मंदिर  
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उस असीम का सुंदर मंदिर मेरा लघुतम जीवन रे!
मेरा लघुतम जीवन रे!
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मेरी श्वासें करती रहतीं नित प्रिय का अभिनंदन रे!
 
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पद रज को धोने उमड़े आते लोचन में जल कण रे!
मेरी श्वासें करती रहतीं  
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अक्षत पुलकित रोम मधुर मेरी पीड़ा का चंदन रे!
नित प्रिय का अभिनंदन रे!
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स्नेह भरा जलता है झिलमिल मेरा यह दीपक मन रे!
 
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मेरे दृग के तारक में नव उत्पल का उन्मीलन रे!
पद रज को धोने उमड़े  
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धूप बने उड़ते जाते हैं प्रतिपल मेरे स्पंदन रे!
आते लोचन में जल कण रे!
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प्रिय प्रिय जपते अधर ताल देता पलकों का नर्तन रे!
 
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अक्षत पुलकित रोम मधुर  
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मेरी पीड़ा का चंदन रे!
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स्नेह भरा जलता है झिलमिल  
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मेरा यह दीपक मन रे!
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मेरे दृग के तारक में  
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नव उत्पल का उन्मीलन रे!
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धूप बने उड़ते जाते हैं  
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प्रतिपल मेरे स्पंदन रे  
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प्रिय प्रिय जपते अधर ताल  
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देता पलकों का नर्तन रे!
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11:58, 9 जुलाई 2013 के समय का अवतरण

क्या पूजन क्या अर्चन रे!

उस असीम का सुंदर मंदिर मेरा लघुतम जीवन रे!
मेरी श्वासें करती रहतीं नित प्रिय का अभिनंदन रे!
पद रज को धोने उमड़े आते लोचन में जल कण रे!
अक्षत पुलकित रोम मधुर मेरी पीड़ा का चंदन रे!
स्नेह भरा जलता है झिलमिल मेरा यह दीपक मन रे!
मेरे दृग के तारक में नव उत्पल का उन्मीलन रे!
धूप बने उड़ते जाते हैं प्रतिपल मेरे स्पंदन रे!
प्रिय प्रिय जपते अधर ताल देता पलकों का नर्तन रे!