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|रचनाकार=भवानीप्रसाद मिश्र
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<poem>
जी हाँ, हुज़ूर, मैं गीत बेचता हूँ।
जी गीत जनम का लिखूँ, मरन मरण का लिखूँ; जी, गीत जीत का लिखूँ, शरन शरण का लिखूँ;
यह गीत रेशमी है, यह खादी का,
यह गीत पित्त का है, यह बादी का।
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