भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"सूरज पर प्रतिबंध अनेकों / कुमार विश्वास" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) छो |
Sharda suman (चर्चा | योगदान) |
||
(2 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 2 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 2: | पंक्ति 2: | ||
{{KKRachna | {{KKRachna | ||
|रचनाकार=कुमार विश्वास | |रचनाकार=कुमार विश्वास | ||
+ | |संग्रह= कोई दीवाना कहता है / कुमार विश्वास | ||
}} | }} | ||
− | + | {{KKCatKavita}} | |
− | + | <poem> | |
− | + | ||
सूरज पर प्रतिबंध अनेकों | सूरज पर प्रतिबंध अनेकों | ||
− | |||
और भरोसा रातों पर | और भरोसा रातों पर | ||
− | |||
नयन हमारे सीख रहे हैं | नयन हमारे सीख रहे हैं | ||
− | |||
हँसना झूठी बातों पर | हँसना झूठी बातों पर | ||
− | |||
हमने जीवन की चौसर पर | हमने जीवन की चौसर पर | ||
− | |||
दाँव लगाए आँसू वाले | दाँव लगाए आँसू वाले | ||
− | + | कुछ लोगों ने हर पल, हर दिन | |
− | कुछ | + | |
− | + | ||
मौके देखे बदले पाले | मौके देखे बदले पाले | ||
− | |||
हम शंकित सच पा अपने, | हम शंकित सच पा अपने, | ||
− | + | वे मुग्ध स्वयं की घातों पर | |
− | वे मुग्ध | + | |
− | + | ||
नयन हमारे सीख रहे हैं | नयन हमारे सीख रहे हैं | ||
− | |||
हँसना झूठी बातों पर | हँसना झूठी बातों पर | ||
− | |||
हम तक आकर लौट गई हैं | हम तक आकर लौट गई हैं | ||
− | |||
मौसम की बेशर्म कृपाएँ | मौसम की बेशर्म कृपाएँ | ||
− | |||
हमने सेहरे के संग बाँधी | हमने सेहरे के संग बाँधी | ||
− | |||
अपनी सब मासूम खताएँ | अपनी सब मासूम खताएँ | ||
− | + | हमने कभी न रखा स्वयं को | |
− | हमने कभी न रखा | + | |
− | + | ||
अवसर के अनुपातों पर | अवसर के अनुपातों पर | ||
− | |||
नयन हमारे सीख रहे हैं | नयन हमारे सीख रहे हैं | ||
− | |||
हँसना झूठी बातों पर | हँसना झूठी बातों पर | ||
+ | </poem> |
15:05, 12 जुलाई 2013 के समय का अवतरण
सूरज पर प्रतिबंध अनेकों
और भरोसा रातों पर
नयन हमारे सीख रहे हैं
हँसना झूठी बातों पर
हमने जीवन की चौसर पर
दाँव लगाए आँसू वाले
कुछ लोगों ने हर पल, हर दिन
मौके देखे बदले पाले
हम शंकित सच पा अपने,
वे मुग्ध स्वयं की घातों पर
नयन हमारे सीख रहे हैं
हँसना झूठी बातों पर
हम तक आकर लौट गई हैं
मौसम की बेशर्म कृपाएँ
हमने सेहरे के संग बाँधी
अपनी सब मासूम खताएँ
हमने कभी न रखा स्वयं को
अवसर के अनुपातों पर
नयन हमारे सीख रहे हैं
हँसना झूठी बातों पर