भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"आना तुम / कुमार विश्वास" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
छो
 
(एक अन्य सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया)
पंक्ति 2: पंक्ति 2:
 
{{KKRachna
 
{{KKRachna
 
|रचनाकार=कुमार विश्वास
 
|रचनाकार=कुमार विश्वास
 +
|संग्रह= कोई दीवाना कहता है / कुमार विश्वास
 
}}
 
}}
 
+
{{KKCatKavita}}
'''कविता-संग्रह [[कोई दीवाना कहता है / कुमार विश्वास|कोई दीवाना कहता है (2007)]] से'''<br><br>
+
<poem>
 
+
 
आना तुम मेरे घर  
 
आना तुम मेरे घर  
 
 
अधरों पर हास लिये
 
अधरों पर हास लिये
 
 
तन-मन की धरती पर  
 
तन-मन की धरती पर  
 
 
झर-झर-झर-झर-झरना
 
झर-झर-झर-झर-झरना
 
 
साँसों मे प्रश्नों का आकुल आकाश लिये
 
साँसों मे प्रश्नों का आकुल आकाश लिये
 
  
 
तुमको पथ में कुछ मर्यादाएँ रोकेंगी
 
तुमको पथ में कुछ मर्यादाएँ रोकेंगी
 
 
जानी-अनजानी सौ बाधाएँ रोकेंगी
 
जानी-अनजानी सौ बाधाएँ रोकेंगी
 
 
लेकिन तुम चन्दन सी, सुरभित कस्तूरी सी
 
लेकिन तुम चन्दन सी, सुरभित कस्तूरी सी
 
 
पावस की रिमझिम सी, मादक मजबूरी सी
 
पावस की रिमझिम सी, मादक मजबूरी सी
 
 
सारी बाधाएँ तज, बल खाती नदिया बन
 
सारी बाधाएँ तज, बल खाती नदिया बन
 
 
मेरे तट आना  
 
मेरे तट आना  
 
 
एक भीगा उल्लास लिये
 
एक भीगा उल्लास लिये
 
 
आना तुम मेरे घर  
 
आना तुम मेरे घर  
 
 
अधरों पर हास लिये
 
अधरों पर हास लिये
  
 
+
जब तुम आओगी तो घर आँगन नाचेगा
जब तुम आऒगी तो घर आँगन नाचेगा
+
 
+
 
अनुबन्धित तन होगा लेकिन मन नाचेगा
 
अनुबन्धित तन होगा लेकिन मन नाचेगा
 
 
माँ के आशीषों-सी, भाभी की बिंदिया-सी
 
माँ के आशीषों-सी, भाभी की बिंदिया-सी
 
 
बापू के चरणों-सी, बहना की निंदिया-सी
 
बापू के चरणों-सी, बहना की निंदिया-सी
 
 
कोमल-कोमल, श्यामल-श्यामल, अरूणिम-अरुणिम  
 
कोमल-कोमल, श्यामल-श्यामल, अरूणिम-अरुणिम  
 
 
पायल की ध्वनियों में  
 
पायल की ध्वनियों में  
 
 
गुंजित मधुमास लिये
 
गुंजित मधुमास लिये
 
 
आना तुम मेरे घर  
 
आना तुम मेरे घर  
 
 
अधरों पर हास लिये
 
अधरों पर हास लिये
 +
</poem>

16:58, 12 जुलाई 2013 के समय का अवतरण

आना तुम मेरे घर
अधरों पर हास लिये
तन-मन की धरती पर
झर-झर-झर-झर-झरना
साँसों मे प्रश्नों का आकुल आकाश लिये

तुमको पथ में कुछ मर्यादाएँ रोकेंगी
जानी-अनजानी सौ बाधाएँ रोकेंगी
लेकिन तुम चन्दन सी, सुरभित कस्तूरी सी
पावस की रिमझिम सी, मादक मजबूरी सी
सारी बाधाएँ तज, बल खाती नदिया बन
मेरे तट आना
एक भीगा उल्लास लिये
आना तुम मेरे घर
अधरों पर हास लिये

जब तुम आओगी तो घर आँगन नाचेगा
अनुबन्धित तन होगा लेकिन मन नाचेगा
माँ के आशीषों-सी, भाभी की बिंदिया-सी
बापू के चरणों-सी, बहना की निंदिया-सी
कोमल-कोमल, श्यामल-श्यामल, अरूणिम-अरुणिम
पायल की ध्वनियों में
गुंजित मधुमास लिये
आना तुम मेरे घर
अधरों पर हास लिये