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"वह ख़ुद तक पहुँचे / सविता सिंह" के अवतरणों में अंतर

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17:21, 6 नवम्बर 2007 के समय का अवतरण

कितना कठिन है उस स्त्री के जीवन का रास्ता

जो किसी पुरूष से कहे --

'मेरा जन्म ही तुमसे प्रेम करने के लिए हुआ है'


यह समय भी नहीं है उससे कुछ कहने का

प्रेम में वह इतनी निरीह दिखती है

इतना ज़रूर सोचती हूँ

जब वह निकले इससे बाहर

सामने मिले उसे सीधा-सरल कोई रास्ता

जिस पर चलकर वह ख़ुद तक पहुँचे