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"गुन के गाहक / गिरिधर" के अवतरणों में अंतर

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गुन के गाहक सहस नर, बिन गुन लहै न कोय ।
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कह गिरिधर कविराय, सुनौ हो ठाकुर मन के ।
 
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बिन गुन लहै न कोय, सहस नर गाहक गुन के
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बिन गुन लहै न कोय, सहस नर गाहक गुनके

23:58, 6 नवम्बर 2007 के समय का अवतरण

गुनके गाहक सहस नर, बिन गुन लहै न कोय ।

जैसे कागा-कोकिला, शब्द सुनै सब कोय ।

शब्द सुनै सब कोय, कोकिला सबे सुहावन ।

दोऊ को इक रंग, काग सब भये अपावन ॥

कह गिरिधर कविराय, सुनौ हो ठाकुर मन के ।

बिन गुन लहै न कोय, सहस नर गाहक गुनके ॥