भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"मोरा घरे अइलें हो दशरथ के लाल / महेन्द्र मिश्र" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=महेन्द्र मिश्र |अनुवादक= |संग्रह=...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
15:42, 11 अक्टूबर 2013 के समय का अवतरण
मोरा घरे अइलें हो दशरथ के लाल।
पलकन से पग झारूँ हो दशरथ के लाल।
निहुरी निहुरी हम अंगना बहरलों
चोबा चंदन पुराएब हो दशरथ के लाल।
अपना में राम जी के बेनिया डोलाइब
नाचि-नाचि गुन गाइब हो दसरथ के लाल।
अपना मैं रामजी के मेवा खिलइबों
ऊबरल जूठन पाइब हो दशरथ के लाल।
बहुत दिनन के आस हमारी
चरणोदक हम पाइब हो दसरथ के लाल।
द्विज महेन्द्र घर ही प्रभु पाएब
आवा गमन छोड़ाइब हो दसरथ के लाल।