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"तलास ! / प्रमोद कुमार शर्मा" के अवतरणों में अंतर
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म्हानै सबदां री तलास है | म्हानै सबदां री तलास है | ||
सबद ........ | सबद ........ | ||
− | जिण सूं बण सकै ऐक पूरौ वाक्य ! | + | जिण सूं बण सकै ऐक पूरौ वाक्य! |
म्हूं कई दिनां सूं सोधूं हूं | म्हूं कई दिनां सूं सोधूं हूं | ||
− | ऐक रंग री ओळखाण हाळा सबद ! | + | ऐक रंग री ओळखाण हाळा सबद! |
बियां तो म्हूं इण नै | बियां तो म्हूं इण नै | ||
− | रगत, खून या लोई भी कैय सकूं ! | + | रगत, खून या लोई भी कैय सकूं! |
पण म्हानै लागै | पण म्हानै लागै | ||
आं सबदां सूं | आं सबदां सूं | ||
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लाल हुवण रै डर सूं | लाल हुवण रै डर सूं | ||
म्हूं भी हो ज्याऊं निरास | म्हूं भी हो ज्याऊं निरास | ||
− | अर बारै भाजण पडूं घर सूं ! | + | अर बारै भाजण पडूं घर सूं! |
पण बारै आंवता‘ई | पण बारै आंवता‘ई | ||
जणा म्हूं सड़क पर देखू | जणा म्हूं सड़क पर देखू | ||
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तो म्हानै फैरूं लागै | तो म्हानै फैरूं लागै | ||
कै म्हानै इण रंग खातर | कै म्हानै इण रंग खातर | ||
− | सोधणौ चाइजै कोई नूवों सबद ! | + | सोधणौ चाइजै कोई नूवों सबद! |
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14:07, 16 अक्टूबर 2013 का अवतरण
म्हानै सबदां री तलास है
सबद ........
जिण सूं बण सकै ऐक पूरौ वाक्य!
म्हूं कई दिनां सूं सोधूं हूं
ऐक रंग री ओळखाण हाळा सबद!
बियां तो म्हूं इण नै
रगत, खून या लोई भी कैय सकूं!
पण म्हानै लागै
आं सबदां सूं
नीं आवै म्हारै बिचारां मांय उबाळ ...!
म्हानै लागै इण मारक रंग री खातिर
सोधणो चाइजै कोई नूवों सबद
इण नै दांव देवण तांई।
कै पीळा पड़ ज्यावै बां रा चै‘रा
लाल हुवण रै डर सूं
म्हूं भी हो ज्याऊं निरास
अर बारै भाजण पडूं घर सूं!
पण बारै आंवता‘ई
जणा म्हूं सड़क पर देखू
लाल रंग मांय रंग्योड़ी कोई लास
तो म्हानै फैरूं लागै
कै म्हानै इण रंग खातर
सोधणौ चाइजै कोई नूवों सबद!