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18:15, 17 अक्टूबर 2013 के समय का अवतरण
खेत मांय
सूड़ करता
करसा री गंडासी
इयां बाजै
जियां
बाजता हुवै
साज,
मन मोदीजै
वां रो
कातीसरै री कल्पना सूं।
गांव रै आथूण
लीलकी खैण माथै
सब्बल अर हथौड़ रै
जोर सूं
हिचकै मिनख
अर जुगाड़ करै
उग्यै-आंथण री दरकार री
गांव रै बीचूं बीच
बणती, रूघै बाणियै री हेली।
कारज करतै चैजारी री
करणी/पळका मारै
उगतै सूरज रै चानणै सूं
अर चैजारौ/होड करै
बाणियै रै/रूपियां री चमक सूं
पण रूपिया अर करणी री
छैती बधती जायरैयी है
लगोलग!