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म्हारी मां  
 
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पड़दादै री अंगरखी
 
पड़दादै री अंगरखी

18:16, 17 अक्टूबर 2013 के समय का अवतरण

म्हारी मां
पड़दादै री अंगरखी
अर पड़दादी री
पगरखी
ओजूं ई
पोथी-पुराण दांई
मैल राखी है
म्हारै चोबारै री
लटाण माथैं

घर रे आगंणै
दादी रै चरखै री
कताई/बिळोवणै रो
अर उण रै हाथां सूं
बणायौड़ी राबड़ी रै
सुवाद री बातां
टाबर थकां म्हनैं
सुणावती म्हारी मां।
मां रै धूजतै हाथां सूं
बणायोड़ी मिस्सी रोटी
अर पंच भेळै रो साग
ओजूं ई आवै है याद म्हनै
मन जिण नै याद करै
अर तरसै कदास बै दिन
घर-बाखळ रो सुख
भळै बावड़ै/म्हारै घरां।