भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"खेजड़ी री ख्यात / शंकरसिंह राजपुरोहित" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शंकरसिंह राजपुरोहित |संग्रह= }} [[Category:मूल राजस्था…) |
Sharda suman (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 4: | पंक्ति 4: | ||
|संग्रह= | |संग्रह= | ||
}} | }} | ||
− | + | {{KKCatRajasthaniRachna}} | |
− | {{KKCatKavita}}<poem>धोरा-धरती री धणियाणी | + | {{KKCatKavita}} |
+ | <poem> | ||
+ | धोरा-धरती री धणियाणी | ||
कै करसै री कांमण ? | कै करसै री कांमण ? | ||
वित्त-मवेषियां री मालकण मानूं | वित्त-मवेषियां री मालकण मानूं |
10:04, 18 अक्टूबर 2013 के समय का अवतरण
धोरा-धरती री धणियाणी
कै करसै री कांमण ?
वित्त-मवेषियां री मालकण मानूं
या मिनख रै थरप्योड़ा
थानां-भगवानां री छिंयां ?
पण कोनीं थूं पूगळ री मूमल
ना रूप री रंभा पदमण
किंया कैऊं रूठी-राणी ?
थूं तो है--
इमरती देवी रो इमरत,
झांसी री राणी ज्यूं
इण ऊबड़-खाबड़ आंगणै
ठौड़-ठौड़ ऊभी है थूं।
थारा खोखा बाजै--
जेठ री जळेबी,
ऊंट-बकरियां अर भेडां री
भूख मिटावै थारा लूंग,
मरुधरा रै मिनख री कल्पना रौ
साकार रूंख है थूं,
थारी छिदी-माड़ी छिंया में बैठ
चींतै बो--
सगळां रै सुख री कामना।