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+ | * [[मिरी हथेली में लिक्खा हुई दिखाई दे / ज़फ़ीर-उल-हसन बिलक़ीस]] | ||
+ | * [[शाम से हम ता सहर चलते रहे / ज़फ़ीर-उल-हसन बिलक़ीस]] | ||
+ | * [[ज़ख़्म को फूल कहें नौहै को नग़्मा समझें / ज़फ़ीर-उल-हसन बिलक़ीस]] |
13:57, 22 अक्टूबर 2013 का अवतरण
ज़फ़ीर-उल-हसन बिलक़ीस
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जन्म | 1938 |
---|---|
निधन | 1978 |
जन्म स्थान | |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
विविध | |
जीवन परिचय | |
ज़फ़ीर-उल-हसन बिलक़ीस / परिचय |
ग़ज़लें
- बदन पे ज़ख़्म सजाए लहू लबादा किया / ज़फ़ीर-उल-हसन बिलक़ीस
- दीवार ओ दर में सिमटा इक लम्स काँपता है / ज़फ़ीर-उल-हसन बिलक़ीस
- एक आलम है ये हैरानी का जीना कैसा / ज़फ़ीर-उल-हसन बिलक़ीस
- हमारी जागती आँखों में ख़्वाब सा क्या था / ज़फ़ीर-उल-हसन बिलक़ीस
- जाने क्या कुछ है आज होने को / ज़फ़ीर-उल-हसन बिलक़ीस
- कब एक रंग में दुनिया का हाल ठहरा है / ज़फ़ीर-उल-हसन बिलक़ीस
- किस ने कहा किसी का कहा तुम किया करो / ज़फ़ीर-उल-हसन बिलक़ीस
- पाबंदियों से अपनी निकलते वो पा न थे / ज़फ़ीर-उल-हसन बिलक़ीस
- नज़र आता है वो जैसा नहीं है / ज़फ़ीर-उल-हसन बिलक़ीस
- अपनी तो कोई बात बनाए नहीं बनी / ज़फ़ीर-उल-हसन बिलक़ीस
- बे-तअल्लुक़ सारे रिश्ते कौन किस का आश्ना / ज़फ़ीर-उल-हसन बिलक़ीस
- देता था जो साया वो शजर काट रहा है / ज़फ़ीर-उल-हसन बिलक़ीस
- काँटे हूँ या फूल अकेले चुनना होगा / ज़फ़ीर-उल-हसन बिलक़ीस
- कब इक मक़ाम पे रूकती है सर-फिर है हवा / ज़फ़ीर-उल-हसन बिलक़ीस
- मिरी हथेली में लिक्खा हुई दिखाई दे / ज़फ़ीर-उल-हसन बिलक़ीस
- शाम से हम ता सहर चलते रहे / ज़फ़ीर-उल-हसन बिलक़ीस
- ज़ख़्म को फूल कहें नौहै को नग़्मा समझें / ज़फ़ीर-उल-हसन बिलक़ीस