भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"मेरा गीत दिया बन जाए / गोपालदास "नीरज"" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
पंक्ति 4: पंक्ति 4:
 
|संग्रह=
 
|संग्रह=
 
}}
 
}}
अंधियारा जिससे शरमाये, <br>
+
{{KKCatGeet}}
उजियारा जिसको ललचाये,<br>
+
<poem>
ऎसा दे दो दर्द मुझे तुम <br>
+
अंधियारा जिससे शरमाये,  
मेरा गीत दिया बन जाये! <br><br>
+
उजियारा जिसको ललचाये,  
 +
ऐसा दे दो दर्द मुझे तुम  
 +
मेरा गीत दिया बन जाये!  
  
इतने छलको अश्रु थके हर <br>
+
इतने छलको अश्रु थके हर  
राहगीर के चरण धो सकूं, <br>
+
राहगीर के चरण धो सकूं,  
इतना निर्धन करो कि हर <br>
+
इतना निर्धन करो कि हर  
दरवाजे पर सर्वस्व खो सकूं <br><br>
+
दरवाजे पर सर्वस्व खो सकूं  
  
ऎसी पीर भरो प्राणों में <br>
+
ऎसी पीर भरो प्राणों में  
नींद न आये जनम-जनम तक, <br>
+
नींद न आये जनम-जनम तक,  
इतनी सुध-बुध हरो कि <br>
+
इतनी सुध-बुध हरो कि  
सांवरिया खुद बांसुरिया बन जायें! <br><br>
+
सांवरिया खुद बांसुरिया बन जायें!  
  
ऎसा दे दो दर्द मुझे तुम <br>
+
ऐसा दे दो दर्द मुझे तुम  
मेरा गीत दिया बन जाये!! <br><br>
+
मेरा गीत दिया बन जाये!!  
  
घटे न जब अंधियार, करे <br>
+
घटे न जब अंधियार, करे  
तब जलकर मेरी चिता उजेला, <br>
+
तब जलकर मेरी चिता उजेला,  
पहला शव मेरा हो जब <br>
+
पहला शव मेरा हो जब  
निकले मिटने वालों का मेला <br><br>
+
निकले मिटने वालों का मेला  
  
पहले मेरा कफन पताका <br>
+
पहले मेरा कफन पताका  
बन फहरे जब क्रान्ति पुकारे, <br>
+
बन फहरे जब क्रान्ति पुकारे,  
पहले मेरा प्यार उठे जब <br>
+
पहले मेरा प्यार उठे जब  
असमय मृत्यु प्रिया बन जाये! <br><br>
+
असमय मृत्यु प्रिया बन जाये!  
  
ऎसा दे दो दर्द मुझे तुम <br>
+
ऐसा दे दो दर्द मुझे तुम  
मेरा गीत दिया बन जाये!! <br><br>
+
मेरा गीत दिया बन जाये!!  
  
मुरझा न पाये फसल न कोई <br>
+
मुरझा न पाये फसल न कोई  
ऎसी खाद बने इस तन की, <br>
+
ऎसी खाद बने इस तन की,  
किसी न घर दीपक बुझ पाये <br>
+
किसी न घर दीपक बुझ पाये  
ऎसी जलन जले इस मन की <br><br>
+
ऎसी जलन जले इस मन की  
  
भूखी सोये रात न कोई <br>
+
भूखी सोये रात न कोई  
प्यासी जागे सुबह न कोई, <br>
+
प्यासी जागे सुबह न कोई,  
स्वर बरसे सावन आ जाये <br>
+
स्वर बरसे सावन आ जाये  
रक्त गिरे, गेहूं उग आये! <br><br>
+
रक्त गिरे, गेहूं उग आये!  
  
ऎसा दे दो दर्द मुझे तुम <br>
+
ऐसा दे दो दर्द मुझे तुम  
मेरा गीत दिया बन जाये!! <br><br>
+
मेरा गीत दिया बन जाये!!  
  
बहे पसीना जहां, वहां <br>
+
बहे पसीना जहां, वहां  
हरयाने लगे नई हरियाली, <br>
+
हरयाने लगे नई हरियाली,  
गीत जहां गा आय, वहां <br>
+
गीत जहां गा आय, वहां  
छा जाय सूरज की उजियाली <br><br>
+
छा जाय सूरज की उजियाली  
  
हंस दे मेरा प्यार जहां <br>
+
हंस दे मेरा प्यार जहां  
मुसका दे मेरी मानव-ममता <br>
+
मुसका दे मेरी मानव-ममता  
चन्दन हर मिट्टी हो जाय <br>
+
चन्दन हर मिट्टी हो जाय  
नन्दन हर बगिया बन जाये। <br><br>
+
नन्दन हर बगिया बन जाये।  
  
ऎसा दे दो दर्द मुझे तुम <br>
+
ऐसा दे दो दर्द मुझे तुम  
मेरा गीत दिया बन जाये!! <br><br>
+
मेरा गीत दिया बन जाये!!  
  
उनकी लाठी बने लेखनी <br>
+
उनकी लाठी बने लेखनी  
जो डगमगा रहे राहों पर, <br>
+
जो डगमगा रहे राहों पर,  
हृदय बने उनका सिंघासन <br>
+
हृदय बने उनका सिंघासन  
देश उठाये जो बाहों पर <br><br>
+
देश उठाये जो बाहों पर  
  
श्रम के कारण चूम आई <br>
+
श्रम के कारण चूम आई  
वह धूल करे मस्तक का टीका,<br>
+
वह धूल करे मस्तक का टीका,  
काव्य बने वह कर्म, कल्पना- <br>
+
काव्य बने वह कर्म, कल्पना-  
से जो पूर्व क्रिया बन जाये! <br><br>
+
से जो पूर्व क्रिया बन जाये!  
  
ऎसा दे दो दर्द मुझे तुम <br>
+
ऐसा दे दो दर्द मुझे तुम  
मेरा गीत दिया बन जाये!! <br><br>
+
मेरा गीत दिया बन जाये!!  
  
मुझे श्राप लग जाये, न दौङूं <br>
+
मुझे श्राप लग जाये, न दौङूं  
जो असहाय पुकारों पर मैं, <br>
+
जो असहाय पुकारों पर मैं,  
आंखे ही बुझ जायें, बेबेसी <br>
+
आंखे ही बुझ जायें, बेबेसी  
देखूं अगर बहारों पर मैं <br><br>
+
देखूं अगर बहारों पर मैं  
  
टूटे मेरे हांथ न यदि यह <br>
+
टूटे मेरे हांथ न यदि यह  
उठा सकें गिरने वालों को <br>
+
उठा सकें गिरने वालों को  
मेरा गाना पाप अगर <br>
+
मेरा गाना पाप अगर  
मेरे होते मानव मर जाय! <br><br>
+
मेरे होते मानव मर जाय!  
  
ऎसा दे दो दर्द मुझे तुम <br>
+
ऐसा दे दो दर्द मुझे तुम  
मेरा गीत दिया बन जाये!!<br><br>
+
मेरा गीत दिया बन जाये!!
 +
</poem>

14:31, 4 जनवरी 2014 का अवतरण

अंधियारा जिससे शरमाये,
उजियारा जिसको ललचाये,
ऐसा दे दो दर्द मुझे तुम
मेरा गीत दिया बन जाये!

इतने छलको अश्रु थके हर
राहगीर के चरण धो सकूं,
इतना निर्धन करो कि हर
दरवाजे पर सर्वस्व खो सकूं

ऎसी पीर भरो प्राणों में
नींद न आये जनम-जनम तक,
इतनी सुध-बुध हरो कि
सांवरिया खुद बांसुरिया बन जायें!

ऐसा दे दो दर्द मुझे तुम
मेरा गीत दिया बन जाये!!

घटे न जब अंधियार, करे
तब जलकर मेरी चिता उजेला,
पहला शव मेरा हो जब
निकले मिटने वालों का मेला

पहले मेरा कफन पताका
बन फहरे जब क्रान्ति पुकारे,
पहले मेरा प्यार उठे जब
असमय मृत्यु प्रिया बन जाये!

ऐसा दे दो दर्द मुझे तुम
मेरा गीत दिया बन जाये!!

मुरझा न पाये फसल न कोई
ऎसी खाद बने इस तन की,
किसी न घर दीपक बुझ पाये
ऎसी जलन जले इस मन की

भूखी सोये रात न कोई
प्यासी जागे सुबह न कोई,
स्वर बरसे सावन आ जाये
रक्त गिरे, गेहूं उग आये!

ऐसा दे दो दर्द मुझे तुम
मेरा गीत दिया बन जाये!!

बहे पसीना जहां, वहां
हरयाने लगे नई हरियाली,
गीत जहां गा आय, वहां
छा जाय सूरज की उजियाली

हंस दे मेरा प्यार जहां
मुसका दे मेरी मानव-ममता
चन्दन हर मिट्टी हो जाय
नन्दन हर बगिया बन जाये।

ऐसा दे दो दर्द मुझे तुम
मेरा गीत दिया बन जाये!!

उनकी लाठी बने लेखनी
जो डगमगा रहे राहों पर,
हृदय बने उनका सिंघासन
देश उठाये जो बाहों पर

श्रम के कारण चूम आई
वह धूल करे मस्तक का टीका,
काव्य बने वह कर्म, कल्पना-
से जो पूर्व क्रिया बन जाये!

ऐसा दे दो दर्द मुझे तुम
मेरा गीत दिया बन जाये!!

मुझे श्राप लग जाये, न दौङूं
जो असहाय पुकारों पर मैं,
आंखे ही बुझ जायें, बेबेसी
देखूं अगर बहारों पर मैं

टूटे मेरे हांथ न यदि यह
उठा सकें गिरने वालों को
मेरा गाना पाप अगर
मेरे होते मानव मर जाय!

ऐसा दे दो दर्द मुझे तुम
मेरा गीत दिया बन जाये!!