भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"कुसुमित कुंज कल्पतरु-कानन / हनुमानप्रसाद पोद्दार" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हनुमानप्रसाद पोद्दार |अनुवादक= |स...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

20:52, 10 जनवरी 2014 के समय का अवतरण

कुसुमित कुंज कल्पतरु-कानन मनिमय अजिर सुहावन।
रास-विलास-निरत नट-नागर गोपी-जन-मन-भावन॥
बिमल बिनोदिनि बचन-बिदग्धा मुग्धा नागरि नारी।
नित नव तरुनि, नटिनि निरुपम, नित मनमोहन-मनहारी॥
कोटि-कोटि कामिनि, दामिनि घन संग सुसोभन साजै।
मन्मथ-मन्मथ मुरलि-मनोहर द्वै-द्वै के बिच राजै॥