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"दस्तकें / प्रेमशंकर रघुवंशी" के अवतरणों में अंतर

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00:47, 12 मार्च 2014 के समय का अवतरण

दस्तकें देकर
लौट गई वह

दरवाज़ा खोल
इधर-उधर देखा
तो पड़ोसियों ने बताया
ख़ुशबू आई थी शायद

तब तक पालिका की
मच्छर-मार मशीन थरथराती आई
और मुहल्ला-मुहल्ला
धूल-धुआँ छोड़ती
ज़हरीली हवा भर गई !!