भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

तुम्हारा जाना / शैलजा पाठक

3 bytes removed, 07:26, 30 अप्रैल 2014
<poem>
जब शब्दों में
चिखने चीखने लगी वेदना
रोम रोम प्रवाहित होता रहा
अनगिनत शीशे
चुभने लगी आँखें
इस बार आंसूं आँसू के रंग अलग थे
किसी ने किसी के नही पोछे
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader, प्रबंधक
35,130
edits