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13:30, 7 मई 2014 के समय का अवतरण
हर तरफ़ पसरा अँधेरा कब तलक़ ढोते रहेंगे
भूल कर अपना सवेरा कब तलक़ सोते रहेंगे
आइए एक दीप से एक दीप को ज्योतित करें
हर समय सूरज का रोना कब तलक रोते रहेंगे