भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"मुरसिद मेरा मरहमी / नानकदेव" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गुरु नानकदेव |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
12:31, 22 मई 2014 के समय का अवतरण
मुरसिद मेरा मरहमी, जिन मरम बताया।
दिल अंदर दिदार है, खोजा तिन पाया॥१॥
तसबी एक अजूब है, जामें हरदम दाना।
कुंज किनारे बैठिके, फेरा तिन्ह जाना॥२॥
क्या बकरी क्या गाय है, क्या अपनो जाया।
सबकौ लोहू एक है, साहिब फरमाया॥३॥
पीर पैगम्बर औलिया, सब मरने आया।
नाहक जीव न मारिये, पोषनको काया॥४॥
हिरिस हिये हैवान है, बस करिलै भाई।
दाद इलाही नानका, जिसे देवै खुदाई॥५॥