भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"प्रगटीं राधा रावल में / हनुमानप्रसाद पोद्दार" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Mani Gupta (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हनुमानप्रसाद पोद्दार |अनुवादक= |...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
18:56, 30 मई 2014 के समय का अवतरण
प्रगटीं राधा रावल में बृषभानू-कीर्ति-दुलारी।
राधा व्रज की ठकुराइन, अभिराम श्याम की प्यारी॥
राधा आह्लादिनि देवी नित माधव पर बलिहारी।
राधा माधव की आत्मा, माधव से कभी न न्यारी॥
राधा नित रास-रसेश्वरि, माधव नित रासबिहारी।
राधा-माधव की लीला शुचि, सत्य, नित्य अविकारी॥
राधा अर्पण की मूरति, हैं श्याम समर्पण-कारी।
राधा आराधन-रत नित, प्रिय राधा आराधनकारी॥
दोनों दोनों के प्रेमी, प्रेमास्पद रस-भंडारी।
नित एक तव दो तन हैं, मधु लीला-रस-बिस्तारी॥