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"हरि को ऐसोइ सब खेल / हरिदास" के अवतरणों में अंतर

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00:46, 1 जून 2014 के समय का अवतरण

हरिको ऐसोइ सब खेल।
मृग-तृस्ना जग ब्याप रही हैं, कहूँ बिजोरो न बेल॥

धनमद जोबनमद और राजमद, ज्यों पंछिनमें डेल।
कह हरिदास यहै जिय जानौ, तीरथ को सो मेल॥