भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"रै चुन्दड़ी तेरा जुलम कसीदा / हरियाणवी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |भाषा=हरियाणवी |रचनाकार=अज्ञात |संग्रह=फा...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
18:19, 9 जुलाई 2014 के समय का अवतरण
हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
रै चुन्दड़ी तेरा जुलम कसीदा।
कुण सै महीने बोल्लै मोर पपीहा कबसी चमकै सीसा
रै चुन्दड़ी तेरा जुलम कसीदा।
सामण महीने बोल्लै मोर पपीहा फागण चमकै सीसा
रै चुन्दड़ी तेरा जुलम कसीदा।
कौण सी नणद नै काढ्या सै कसीदा कौणसी ने गोद्या सीसा
रै चुन्दड़ी तेरा जुलम कसीदा
छोटली नणद ने काढ्या सै कसीदा बडली नै गोद्या सीसा
रै चुन्दड़ी तेरा जुलम कसीदा।