भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"चुप चुप खड़े हो जरूर कोई बात है / हरियाणवी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |भाषा=हरियाणवी |रचनाकार=अज्ञात |संग्रह=जन...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
Sharda suman (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 13: | पंक्ति 13: | ||
जिठाणी भी आवै पिलंग बिछावै, | जिठाणी भी आवै पिलंग बिछावै, | ||
पिलंग बिछाई मांगे झगड़े की बात है- चुप... | पिलंग बिछाई मांगे झगड़े की बात है- चुप... | ||
+ | नणदल भी आवै सतिये लगावै | ||
+ | सतिये लगाई मांगे झगड़े की बात है- चुप... | ||
+ | देवर भी आवै बंसी बजावै | ||
+ | बंसी बजाई मांगे झगड़े की बात है- चुप... | ||
+ | दाई भी आवै होलर जणावे, | ||
+ | होलर जणाई मांगे झगड़े की बात है- चुप... | ||
</poem> | </poem> |
20:25, 9 जुलाई 2014 के समय का अवतरण
हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
चुप चुप खड़े हो जरूर कोई बात है
ललणा तो जाया पूनो की आधी रात है- टेक
सासू भी आवै दिवला चसावै
दिवला चसाई मांगै झगड़े की बात है- चुप...
जिठाणी भी आवै पिलंग बिछावै,
पिलंग बिछाई मांगे झगड़े की बात है- चुप...
नणदल भी आवै सतिये लगावै
सतिये लगाई मांगे झगड़े की बात है- चुप...
देवर भी आवै बंसी बजावै
बंसी बजाई मांगे झगड़े की बात है- चुप...
दाई भी आवै होलर जणावे,
होलर जणाई मांगे झगड़े की बात है- चुप...