भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"आरति श्रीबृषभानुसुता की / हनुमानप्रसाद पोद्दार" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Mani Gupta (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हनुमानप्रसाद पोद्दार |अनुवादक= |...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
22:35, 9 जुलाई 2014 के समय का अवतरण
आरति श्रीबृषभानुसुता की।
मंजु मूर्ति मोहन-ममता की॥
त्रिबिध तापजुत संसृति-नासिनि,
बिमल बिबेक-बिराग-बिकासिनि,
पावन प्रभु-पद-प्रीति-प्रकासिनि
सुन्दर-तम छबि सुन्दरता की॥-१॥
मुनि-मन-मोहन मोहन-मोहिनि,
मधुर मनोहर मूरति-सोहनि,
अबिरल प्रेम-अमिय-रस-दोहनि,
प्रिय अति सदा सखी ललिता की॥-२॥
संतत सेव्य संत-मुनि-जन की,
आकर अमित दिय गुन-गन की,
आकर्षिणी कृष्ण-तन-मन की,
अति अमूल्य सपति समता की॥-३॥
कृष्णात्मिका, कृष्ण-सहचारिनि,
चिन्मय बृन्दा-बिपिन-बिहारिनि,
जगज्जननि जग-दुःख-निवारिनि,
आदि अनादि सक्ति बिभुता की॥-४॥