"लरिकउनू ए० मे० पास कीहिनि / पढ़ीस" के अवतरणों में अंतर
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=पढ़ीस |संग्रह=चकल्लस / पढ़ीस }} {{KKCatKavita}...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 7: | पंक्ति 7: | ||
<poem> | <poem> | ||
सबि पट्टी बिकी असट्टयि मा, | सबि पट्टी बिकी असट्टयि मा, | ||
− | लरिकउनू ए.मे. पास किहिनि। | + | लरिकउनू ए. मे. पास किहिनि। |
− | पुरिखन का पानी | + | पुरिखन का पानी खुबयि मिला, |
− | लरिकउनू ए.मे. पास किहिनि॥ | + | लरिकउनू ए. मे. पास किहिनि॥ |
− | अल्ला-बल्ला सब बेचि-खोंचि, | + | अल्ला - बल्ला सब बेचि - खोंचि, |
− | दुइ सउ का मनिया- | + | दुइ सउ का मनिया-अडरू किहिनि। |
उहु उड़िगा चाहयि पानी मा, | उहु उड़िगा चाहयि पानी मा, | ||
− | लरिकउनू ए.मे. पास किहिनि॥ | + | लरिकउनू ए. मे. पास किहिनि॥ |
− | हम मरति-खपति द्याखयि | + | हम मरति-खपति द्याखयि दउर्यन, |
− | + | दयि मिन्त्र मण्डली मा नाययिं। | |
− | + | दीदा - दरसनऊ न कयि पायन, | |
− | लरिकउनू ए.मे. पास किहिनि॥ | + | लरिकउनू ए. मे. पास किहिनि॥ |
महतारी बिलखयि द्याखयि का, | महतारी बिलखयि द्याखयि का, | ||
− | बिल्लायि म्यहरिया ब्वालयि | + | बिल्लायि म्यहरिया ब्वालयि का। |
− | + | उरि परे कलपु-घर पाले मा, | |
− | लरिकउनू ए.मे. पास किहिनि॥ | + | लरिकउनू ए. मे. पास किहिनि॥ |
− | + | कालरू, नकटाई, सूटु, हैटु, | |
− | बंगला पर | + | बंगला पर पहुँचे सजे - बजे। |
− | + | नउकरी न पायिनि पाँउच की, | |
− | लरिकउनू ए.मे. पास किहिनि॥ | + | लरिकउनू ए. मे. पास किहिनि॥ |
− | अरजी लिक्खिनि | + | अरजी लिक्खिनि अँगरेजी मा |
− | घातयिं पूंछयि चपरासिन ते। | + | घातयिं<ref>तरकीबें, जुगत</ref> पूंछयि चपरासिन ते। |
− | धिरकालु | + | धिरकालु ‘‘पढ़ीस’’ पढ़ीसी का, |
− | लरिकउनू ए.मे. पास किहिनि॥ | + | लरिकउनू ए. मे. पास किहिनि॥ |
</Poem> | </Poem> | ||
+ | {{KKMeaning}} |
15:24, 21 जुलाई 2014 का अवतरण
सबि पट्टी बिकी असट्टयि मा,
लरिकउनू ए. मे. पास किहिनि।
पुरिखन का पानी खुबयि मिला,
लरिकउनू ए. मे. पास किहिनि॥
अल्ला - बल्ला सब बेचि - खोंचि,
दुइ सउ का मनिया-अडरू किहिनि।
उहु उड़िगा चाहयि पानी मा,
लरिकउनू ए. मे. पास किहिनि॥
हम मरति-खपति द्याखयि दउर्यन,
दयि मिन्त्र मण्डली मा नाययिं।
दीदा - दरसनऊ न कयि पायन,
लरिकउनू ए. मे. पास किहिनि॥
महतारी बिलखयि द्याखयि का,
बिल्लायि म्यहरिया ब्वालयि का।
उरि परे कलपु-घर पाले मा,
लरिकउनू ए. मे. पास किहिनि॥
कालरू, नकटाई, सूटु, हैटु,
बंगला पर पहुँचे सजे - बजे।
नउकरी न पायिनि पाँउच की,
लरिकउनू ए. मे. पास किहिनि॥
अरजी लिक्खिनि अँगरेजी मा
घातयिं<ref>तरकीबें, जुगत</ref> पूंछयि चपरासिन ते।
धिरकालु ‘‘पढ़ीस’’ पढ़ीसी का,
लरिकउनू ए. मे. पास किहिनि॥