भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"सत्य / मुंशी रहमान खान" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मुंशी रहमान खान |अनुवादक= |संग्रह= ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

09:40, 13 अगस्त 2014 के समय का अवतरण

सत्‍य अटल है जगत महं सत्‍य धर्म का खंभ।
सत्‍य की दसी लक्ष्‍मी सत्‍य बंधे सुरब्रह्म।।
सत्‍य बंधे सुर ब्रह्म सत्‍य से ईश्‍वर राजी।
सत्‍य सरवरी तप नहीं सत नहिं हारै बाजी।।
कहैं रहमान स्‍वर्ग है सत से देवै नर्क असत्‍य।
भव सागर तरना चहहु उर धारहु नित सत्‍य।।