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"ज़माना आज नहीं / जाँ निसार अख़्तर" के अवतरणों में अंतर

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बहार आये चली जाये फिर चली आये
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ये ठीक है कि सितारों पे घूम आये हैं
मगर ये दर्द का मौसम नहीं बदलने का <br><br>
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तमाम नशा-ए-हस्ती तमाम कैफ़-ए-वजूद  
गली गली में समाँ चाँद के निकलने का <br><br>
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वो इक लम्हा तेरे जिस्म के पिघलने का  
 
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तमाम नशा-ए-हस्ती तमाम कैफ़-ए-वजूद <br>
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वो इक लम्हा तेरे जिस्म के पिघलने का <br><br>
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12:43, 19 अगस्त 2014 के समय का अवतरण

ज़माना आज नहीं डगमगा के चलने का
सम्भल भी जा कि अभी वक़्त है सम्भलने का

बहार आये चली जाये फिर चली आये
मगर ये दर्द का मौसम नहीं बदलने का

ये ठीक है कि सितारों पे घूम आये हैं
मगर किसे है सलिक़ा ज़मीं पे चलने का

फिरे हैं रातों को आवारा हम तो देखा है
गली गली में समाँ चाँद के निकलने का

तमाम नशा-ए-हस्ती तमाम कैफ़-ए-वजूद
वो इक लम्हा तेरे जिस्म के पिघलने का