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"प्यास भी एक समन्दर है / अली सरदार जाफ़री" के अवतरणों में अंतर

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और हर मौज
 
और हर मौज
 
लपकती है किसी चाँद से चेहरे की तरफ़
 
लपकती है किसी चाँद से चेहरे की तरफ़
 
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21:49, 31 दिसम्बर 2014 के समय का अवतरण


प्यास भी एक समन्दर है समन्दर की तरह
जिसमें हर दर्द की धार
जिसमें हर ग़म की नदी मिलती हैं
और हर मौज
लपकती है किसी चाँद से चेहरे की तरफ़